Jan 25, 2012

क्या है मुझसे शिकायते कभी खुल के मुझसे गिला करो
इसी रास्ते कुछ हो गुफ्तगू हो यू ना फासले से मिला करो.
बेजा थी गर मेरी आरजू तेरी बेरुखी भी कम ना थी
इसी हिसाब दारी को मिल दिल की बात बया करो
न पा सकू कोई गम नहीं पर हसरतें होगी कम नहीं
उम्मीद यू ही बनी रहे कुछ ऐसी बात किया करो.

Jan 21, 2012

Desires

वो मेरी नापाक सी ख्वाहिशें , वो दौर तेरे इंकार के
तेरी एक रजा का सवाल था, मेरी काफिरी से निजात को
कशिश की अजमाईशैं, छूने को जिस्म-ऐ-जार को
आरज़ू-ऐ-वस्ल में, नादिम किया ज़ज्बात को
संजीदगी एहसास की , जो थी तुम्हारे ख्वाब की
उस ख्वाब की तामीर को, शाइस्तगी थी जकात को