मै सजाना चाहता हु
पुष्प से कुछ स्वप्न
राह में जिस पर चलेंगे
साथ हम तुम प्राण मेरे
स्वप्न जो हमने संजोये
रजनीगंधा से सुवासित
स्वप्न जो मैंने बिसारे
समय से होकर प्रताड़ित
ये जो मुझको देखते हो
पाषाण सा निष्ठुर
भावनाहीन अनुत्सुक
नहीं ये मै नहीं हू
कर प्रिये विश्वास मेरा
जो तुम्हारे स्वप्न में
जीवन पिरोता था
अभी भी मै वही हू
एक क्षण को ही सही
मै वास्तविकता को
भुलाना चाहता हू
कुछ मधुर से स्वप्न
तुमको फिर दिखाना चाहता हू
पुष्प से कुछ स्वप्न
राह में जिस पर चलेंगे
साथ हम तुम प्राण मेरे
स्वप्न जो हमने संजोये
रजनीगंधा से सुवासित
स्वप्न जो मैंने बिसारे
समय से होकर प्रताड़ित
ये जो मुझको देखते हो
पाषाण सा निष्ठुर
भावनाहीन अनुत्सुक
नहीं ये मै नहीं हू
कर प्रिये विश्वास मेरा
जो तुम्हारे स्वप्न में
जीवन पिरोता था
अभी भी मै वही हू
एक क्षण को ही सही
मै वास्तविकता को
भुलाना चाहता हू
कुछ मधुर से स्वप्न
तुमको फिर दिखाना चाहता हू