May 10, 2012

 मै सजाना चाहता हु
 पुष्प से कुछ स्वप्न 
 राह में जिस पर चलेंगे 
 साथ हम तुम प्राण मेरे
 स्वप्न जो हमने संजोये 
 रजनीगंधा से सुवासित 
 स्वप्न जो मैंने बिसारे 
 समय से होकर प्रताड़ित
 ये जो मुझको देखते हो 
 पाषाण सा निष्ठुर 
 भावनाहीन अनुत्सुक
 नहीं ये मै नहीं हू 
 कर प्रिये विश्वास मेरा 
 जो तुम्हारे स्वप्न में 
 जीवन पिरोता था 
 अभी भी मै वही हू 
 एक क्षण को ही सही 
 मै वास्तविकता को
 भुलाना चाहता हू 
 कुछ मधुर से स्वप्न 
 तुमको फिर दिखाना चाहता हू

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