Apr 17, 2013


तुम अधूरा स्वप्न बनकर
कब तलक छलते रहोगे
पास होकेर भी ह्रिद्य के
दूर  यो  चलते  रहोगे
शाम के सूरज के रंग से
संग के कुछ पल सुनहले
ताकना वो एकटक इस
रूप  को  तेरे  रुपहले
हाथ  हाथो  मे  लिए
बिन कुछ कहे देना भरोसा
मेरी  हर  एक  माँग  पर
वो  मुस्कुरा  देना  हमेशा
जानकर अनजान  बनकर
देखती  आँखे  तुम्हारी
है ये मेरी कल्पना सब
सत्य से पर लगती प्यारी
सत्य तुम हो, सत्य मैं हू
स्वप्न फिर यह, सत्य तो है
सृजन तक पहुचे ना पहुचे
स्वप्न का अस्तित्व तो है

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