यूँ तो वो
शख़्श ज़्यादा ही
आम लगता था
उसकी बातें पर बड़ी
दूर असर करती
थी
ये समझने मे हमने
उमर लगा दी
सारी
की रोशनी भी अंधेरों
मे बसर करती
थी
वो जिसको चाँद के
चरखे पे बिठा
रखा है
जब ज़मीं पे थी
तो पेंशन पे
गुजर करती थी
बाद अम्मी के गुजरने
के उसे इल्म
हुआ
कभी कभी तो
दुआएँ भी असर
करती थी
जानें वो कैसे
गुजरेगा जिंदगी सारी
यहाँ तो रात
गुजरने मे उमर
लगती थी.
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