Dec 28, 2012

A night went by when there was less sleep and more thoughts....unproductive thoughts rewinding past. As i traveled back i could see moments passing by. I paused at many times trying to enjoy again the what i assumed the best moments of my life and surprisingly these were not as amusing as i expected them to be. Though still good enough to make you smile but lost some of the shine and glitter over the course of time. I was thinking that i will have have to create more newer happy moments to cheer me up. A little bored i moved on and just out of curiosity stopped at some most disastrous moments ...moments i can't think of living again. And shocked.... the intensity of pain and disappointment these moments caused at times has also subsided with time. It was nice realizing how such moments made me stronger, and changed my outlook of life may be a little bit, how i handled situations and what i could do better. 
As i moved on the journey back i observed that only moments which are as fresh as ever were those when i had done something to be ashamed of myself. These moment were as bitter and as disgusting as they ever be. I cannot handle looking at me in such a light so i ran away.
As i ran faster and faster images of events started fading away and i was surrounded by faces....faces peeping form gloom like they are from some other life, faces so close to my eyes that its hard to look at. These were people... people i met, people i talked to, i people fought, people i cared for, people i had been cared by, people i loved, people i hated...it was amazing. I tried recalling the reasons why i hated some of them, and you know what, to my astonishment i couldn't find a single one. Agitated and confused i was collecting my guts to talk to them when i felt strong grip of big hands on my arms started to pull me away toward a scary dark place. I wanted to shout and say the faces little things like thanks, sorry, i loved you, i learned from you, you were important to me even if i hated you but i could not speak and the faces were moving fast away from my site and it was dark all around. I collected all my courage and about to shout when i realized it was morning .....i looked at my wife and kid sleeping by me in peace ....i smiled and said Thanks GOD i still have a chance....

Nov 20, 2012

तू नहीं मिला तो खुदा सही 
न द्वा मिली तो दुआ सही 
इन फासलों ने हमें मगर 
इश्क क्या है सिखा दिया 

यूं तो मैं सबको अज़ीज़ था 
कितनो के दिल के करीब था 
पर चार दिन दुश्वरिओं ने 
दोस्तों से मिला दिया 

मैं तो बहोत दिलदार हु
शाहखर्च, शाहाना मिजाज़ हू
बस आटे-दाल के भाव ने
मुझे मोलभाव सिखा दिया

Sep 29, 2012

जिन्हें दिल में जगह देना कभी जाहिर नहीं करना
तुम्हारे प्यार की तौहीन को वो हक समझ लेंगे
जो है गर फ़िक्र औ सरोकार रखो पास अपने तुम
रवैय्या उनका ऐसा है इसे मतलब समझ लेंगे
करो उनका भला पर जान न जाये कंही ये वो 

अगर जो जान जायेगे तो सब बेकार कर देंगे
नहीं है कद्र उनको बेसबब बेगर्ज़ यारी की
तेरे मासूम जज्बातों को ये बाज़ार कर देंगे
कभी उनको न जतलाना जिन्हें अपना समझते हो
ज़माने भर को अपना कर तुम्हे बदकार कर देंगे

May 10, 2012

 मै सजाना चाहता हु
 पुष्प से कुछ स्वप्न 
 राह में जिस पर चलेंगे 
 साथ हम तुम प्राण मेरे
 स्वप्न जो हमने संजोये 
 रजनीगंधा से सुवासित 
 स्वप्न जो मैंने बिसारे 
 समय से होकर प्रताड़ित
 ये जो मुझको देखते हो 
 पाषाण सा निष्ठुर 
 भावनाहीन अनुत्सुक
 नहीं ये मै नहीं हू 
 कर प्रिये विश्वास मेरा 
 जो तुम्हारे स्वप्न में 
 जीवन पिरोता था 
 अभी भी मै वही हू 
 एक क्षण को ही सही 
 मै वास्तविकता को
 भुलाना चाहता हू 
 कुछ मधुर से स्वप्न 
 तुमको फिर दिखाना चाहता हू

Mar 23, 2012

तर है ये लब तुम्हारे अमृत से
हमको सीने में प्यास रखने दो
तुमको हासिल है चाँद औ तारे
हमको आँखों में ख्वाब रखने दो
छोटे छोटे से नन्हे हांथो पे
कंपतों की मिठास रकने दो
माना तालीम जरूरी है मगर
कुछ इक दिन दिल को साफ़ रखने दो
मुझे इस उम्र की संजीदगी से मत बांधो
अभी दिल में नया एहसास रखने दो
गर जो चाहो तो जीत लो दुनिया
गैरमंदो को भी पर कुछ तो आस रखने दो
कही ये याद न आ जाये की मै जिन्दा हू
मय की बोतल मेरे तकिये के पास रखने दो

Mar 22, 2012

बीत गयी रात

आज की सुबह बिस्तर को यूं ही रहने दो
तमाम रात तो जगते हुए बिताई है.
इसमे बसती है तेरे नर्म बदन की खुशबू
इसमे बाकी अभी भी प्यार की गरमाई है
उजली चादर की इक इक सलवट में
बीती हुई रात की एक इक अंगराई है
परा है होके जुदा एक जुल्फ का कतरा
मेरे एक गाल पे काजल की रोशनाई है
जो बिंदी जाके चिपकी हुई है तकिये से
जूनून-ए-अंजुमन से लगता है शरमाई है
ये जो चूरी मिली है टूटी हुई सिरहाने
लगता है की किसी सैलाब से टकराई है
मेरे लबों पे तेरे सुर्ख लबों की लज्ज़त
अब भी फेरूँ जुबां तो थोरी सी मिठाई है
मुझको तो शिकवा है इस नामुराद सूरज से
जो हमसे रात ये इसने हंसी चुराई है.

Feb 5, 2012

अभी अभी मेरी ज़बान पर स्वाद नमक सा आया है
क्या तेरी आँखों ने फिर कोई अश्क बहाया है
मेरे किराये के घर के छज्जे चाँद नहीं आता
तुम्ही बताओ किसने उसको ये बर्ताव सिखाया है
बेचारे माँ को लगता है अब कुछ गलत नहीं होगा
क्या काले टीके से कोई दुनिया से बच पाया है
कभी शिवाले की घंटी से मेरी आँखे खुलती थी
इस बार जागरण को चंदे से स्पीकर लगवाया है
शायद खुदा आजकल मेरे आस पास नहीं रहता
तभी इबादत को उसने मस्जिद में बुलवाया है
माना दुनिया के दस्तूर निभाना मुझे नहीं आता
पर बोलो क्या तुमने भी दिल का दस्तूर निभाया है
अब आओ तो तुमसे मिलकर हाथ मिलाकर मै निकलूँ
खड़े खड़े यूं इन्तजार में कितना वक़्त गंवाया है

Feb 4, 2012

कितना प्यारा सा है तू बिलकुल अपनी माँ सा है तू
हृदयों को स्पंदित करती वो कोमल सी भाषा है तू
तू प्रणय की अल्पना है
या सृजन की कल्पना है
व्योम तल पर श्रांत होकर
अस्त से होते रवि की
भोर की परिकल्पना है
मेरी नश्वरता को झुठलाते नवजीवन की आशा है तू
हृदयों को स्पंदित करती वो कोमल सी भाषा है तू
सूछ्म, कोमल पंखरी से
मृदुल अंगो की चपलता
रक्तिम, सलोने अधर युग्म
की छवि को पूर्ण करती
धवल रश्मि की प्रकटता
कण कण में है व्यापत रचयिता देता यही दिलासा है तू
हृदयों को स्पंदित करती वो कोमल सी भाषा है तू

A teenage new year wish by me (2002)

13th june to 31 december
are not just 6 months on the calender
these are more than a life for me
but how fast have gone honey
your imminence makes me live but
also give a sense of voidness in life
That can be filled only by you
So let's promise to continue
The time, the passion we share
on this very new year.

Jan 25, 2012

क्या है मुझसे शिकायते कभी खुल के मुझसे गिला करो
इसी रास्ते कुछ हो गुफ्तगू हो यू ना फासले से मिला करो.
बेजा थी गर मेरी आरजू तेरी बेरुखी भी कम ना थी
इसी हिसाब दारी को मिल दिल की बात बया करो
न पा सकू कोई गम नहीं पर हसरतें होगी कम नहीं
उम्मीद यू ही बनी रहे कुछ ऐसी बात किया करो.

Jan 21, 2012

Desires

वो मेरी नापाक सी ख्वाहिशें , वो दौर तेरे इंकार के
तेरी एक रजा का सवाल था, मेरी काफिरी से निजात को
कशिश की अजमाईशैं, छूने को जिस्म-ऐ-जार को
आरज़ू-ऐ-वस्ल में, नादिम किया ज़ज्बात को
संजीदगी एहसास की , जो थी तुम्हारे ख्वाब की
उस ख्वाब की तामीर को, शाइस्तगी थी जकात को